👇 Search Here Everything & Get Smart Results instantly

 

चूहे की कहानी | चूहे की शादी | चूहे का विवाह | Choohe Ka Vivah |  ChuheKiShaadi | Hindi Kahaniya For Kids | Moral Stories | Kahani 


चूहे का ब्याह...hindi short story with moral


एक बार एक चूहे को शादी का शौक हुआ। वह अपने दोस्त के

यहाँ गया। कहने लगा अपनी ससुराल के पास मेरी भी ससुराल कर

देना--“आपणे घोरो शाउरू मेरो देई लाई ।”





 उसके दोस्त ने कहा, अभी ठहरो, चैत-बैसाख जाने दों । अभी तो

घर में अनाज भी नहीं है। दांवत में क्या खिलाओगे ? मेरे पास कुलथी

(एक दाल) रखी है, उसी को  पकाऊँगा, चूहे ने उत्तर दिया | .


उसके दोस्त ने पूछा कि कुलथी का क्या बनाओगे ? उत्तर में चूहे

ने कहा कि उसकी खीर बनाऊंगा । "


फिर उसके दोस्त ने पूछा--खीर कैसे बनाओगे ? चूहे ने उत्तर

दिया- दूध से । 





दोस्त ने. पूछा-दूध कहाँ से लाओगे चूहे ? उसने उत्तर दिया मेरी

मालकिन की गाय दूध देती है, बस थोड़ा दूध ले आऊंगा ॥ 


फिर दोस्त ने.पुछा : शक़्कर कहाँ से लाओगें ? वह बोलो कि

बगलवाले घंर में शक्कर को बोरियाँ हैं । 


चूहे की जिद करने पंर उसका दोस्त शादी ढूँढ़ने निकला। एक

देश से दूसरे देश, दूसरे देश से तीसरे देश इसी प्रकार वह घूमता

रहा। पर कोई तैयार नहीं हुआ। सब ने यही कहा बैसाख में शादी करेंगे,

जब खेत से फसल कटेगी। 


 उसका दोस्त॑ निराश होकर लौट रहा था । रास्ते में एक कानो चुहिया मिली । वह रुक गया । बोला, अरे कहाँ जा रही हो ? चुहिया

ने उत्तर दिया--कहाँ जांऊ', खाने की तलाश में हूँ। जवाब में चूहे

ने कहां अरे तुम ब्याह क्यों नहीं कर लेती ? सारी  परेशानी से छुट्टी

मिल जायेगी। चूहा कमायेग और तुम मजे से' खाना । बोली, मुझे

कानी से कौन शादी करेगा ? चूहा बोला कि अरे तुम्हें क्या, मैं शादी

करा  दूंगा। तुम हाँ तो करो । चुहिया बोली--नेकी करे पूछ-पूछ |.


चूहे का दोस्त बड़ी खुशी से जल्दी-जल्दी लौटने लगा । शाम होते-

होते वह अपने दोस्त के घर पहुँचा । सलाम-दुआ के बाद बात-चीत

शुरू हुई । चूहे ने अपने दोस्त से ; पूछा-अरे, कहीं शादी बनी कि नहीं ?


 



कुलथी भी खत्म हो जायेगी। 'मेरी मालकिन भी घर . छोड़कर जाने

वाली हैं। भाई शादी' तो मैं करवा दूं पर एक. शर्त है कि बीबी से

कभी  झग़ड़ा मत :करना नहीं तो भाग जायेगी । चूहे ने कहा-अरे

उसे रोज खीर, मंलाई, पूंडी खिलाऊंगा  मालकिन के घर गाय रहती

है, क्या समझते हो ? 

चूहे के दोस्त ने कहा -अच्छा; डोली-कहार का इन्तजाम करो ।

चूहा मन ही मन ख़ुशी से फूल उठा । झट उठ कर बगल के दूसरे दोस्त के यहाँ गया । उससे बोला भाई शादी तै हो गयीं है, . तुम्हें.

नेवता देने आया हूँ  उसने पुछा कब है? कहने लगा--बस॑ आज -

ही: रात बारह बजे: साइत है । फिर , उसने पूछा, मेरे लायक कुछ _

काम ? उसने कहा -भाई  डोली का  इन्तजाम, उसके परदे का  इन्तजाम, और बहू ले आने का. इन्तजाम, सब तुम्हें ही तो करना है। उसने कहा, घ॒बराओ नहीं मैं सब कर हूँगा मेरे मालकिन ने अभी _

कर दूंगा मेरी मालकिन ने अभी अभी जड़ाऊ परदा बनवाया है , अपनी पालकी के लिए--बस, वही लाऊंगा 


चूहा बहुत खुश, हुआ ओर लौट कर उसने अपने दोस्त से सब

हाल कह: सुनाया । बारात सज गई  एक के पीछे एक चल पड़े 

रात के १२ बजे पहुँच गए द्वारचार करने ॥ उधर से भी स्वागत

की तैयारी बड़ी धूमधाम से थी। चूँ-चूँ की चारों  ओर शोर होने

लगी। खूबे भरपरेट दावत हुई । पालकी, सज गई और फिर चुहिया

की बिदाई बड़े धूमधाम से की गई । दुलहन की डोली चल पड़ी

सबेरा होते-होते चूहा अपने घर पर पहुँचा । चुँ-चूँ की आवाज़ सुन कर

घर के बच्चे जाग पड़े । चूहे  ने बच्चों से प्रार्थना की--सो जाओ, शोर

मत करो | मूसरानी का डोलां आ रहा है। -


चुप रे छेड़वी पॉईना: ब्रेला. रोला, |

सेरी माप आवो लां, मुशणी रा डोला ।” ।




डोला आया । चूहे ने उसको डोली से उतारा | पर चुहिया उसके

पीछे-पीछे चल न सकी | चूहे.ने दोस्त से कहा--अरे यह तो कानी

है। चूहे के दोस्त ने कहा, कानी है तो क्या हुआ इसके कान तो सूप

के समान हैं !' “मुशणी वे काणी, कानो जेरे ला शुपो |!


चूहा प्रसन्न हो गया | चुहिया को देख देख कर वह पूँछ उठा-उठा

कर नाचने-वजाने लगा । चूहे की अभिलाषा पूरी हुई ।


उसका उजड़ा घर बस गया ॥



जादू भरी सुई - Jadu bhari Sui - Jadui Kahani in Hindi Kahaniyan



धनी मनुष्य और नौकर की कहानी - dhani manushya aur naukar ki kahani - hindi short story with moral




0 comments:

Post a Comment

 
Top